क्षणिकाएं – २४
क्षणिकाएं – २४
(१)
सपनों का महल कल जल गया
मेरा साया मुझी को छल गया।।
(२)
बरसते नयनों को समेट लीजे
ये मोती है अनमोल इन्हे यूं न जाया कीजे।।
(३)
खामोश इश्क भी जरूर कामयाब होते होंगे
लब खामोश मगर नजरों से तो बोलते होंगे।।
(४)
कुछ बूंद जिंदगी अभी भी पड़ी थी
जिसे जीने की प्यास जगी थी
सामने था वक्त का खाली गिलास
और मौत दरवाजे पे खड़ी थी।।
(५)
जिंदगी के इस चमन में कुदरत का उसूल है
काटें है हजार कुछ थोड़े से फूल है
रखिए दामन संभाल नहीं तो होगा तार तार
यहां कदम कदम पर बिछे शूल ही शूल हैं।।
आभार – नवीन पहल – २९.१०.२०२२🙏🌹💐
# नॉन स्टॉप – २०२२
Khan
29-Oct-2022 11:56 PM
Very nice 👌🌺
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Muskan khan
29-Oct-2022 07:06 PM
Well done 😊
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Sachin dev
29-Oct-2022 06:53 PM
Nice 👌
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